बुधवार, 23 अप्रैल 2008

आ ही गया मैं

पत्रकारिता में आने के बाद अपना ब्लॉग रखना एक फैशन ही हो गया है। मैं नहीं कहूंगा कि यह मैंने अपने उच्च विचारों को आपके सामने रखने के लिए बनाया है। बनाया तो मैने भी बस फैशन के लिए ही है। कई लोग ब्लॉग बनाते समय बहुत उत्साह दिखाते हैं और बाद में उनका उत्साह कम हो जाता है और शायद ही वे खुद भी अपना ब्लॉग देखते होंगे। लेकिन इसका करण हम मित्र लोग ही हैं जो अपने मित्रों का ब्लॉग देखते ही नहीं है। जब विचारों को कहीं से समर्थन या आलोचना के दो शब्द नहीं मिलेंगे तो विचारों को पंख कैसे लगेंगे। मुझे भी पता है कि मैं भी कुछ दिनों में अपने ही ब्लॉग का नाम भूल जाऊंगा क्योंकि मैं खुद भी बहुत ही सुस्त प्रकृति का आदमी हूं। मेरे जो मित्र मुझे नजदीकी से जानते हैं वे इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं। खैर फिलहाल तो नया नया जोश है तो कुछ दिन तो ये कायम रहेगा ही। अभी के लिए इतना ही।

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