कल यहीं के एक पासआउट विद्यार्थी से बात हो रही थी, जो एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के साथ बिहार के ही एक दूर-दराज के जिले में सामाजिक अभिप्रेरणा के कार्य में लगा है। उसका काम गांव में लोगों को शौचालय बनवाने और उसके प्रयोग को बढ़ावा देना है।
अपने संस्कार छोड़कर मैं, तुम्हारे जाहिल संस्कारों का हो गया
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हम जाहिल थे,
हम गंवार थे।
तुमने पूरी मेहनत की
हम मान भी गए तुम्हारी बात।
वक्त का पहिया घूमा
हमने अपने जाहिल संस्कार छोड़े।
तुमने जो कहा वो किया,
ज...
2 वर्ष पहले