"इधर के लोग आंकड़ों की बात करेंगे और उधर के लोग भी आंकड़ों की बात करेंगे, लेकिन मैं आंकड़ों की बात नहीं करूंगा बल्कि गरीब गुरबों की बात करूंगा जो मंहगाई के बोझ तले दबा जा रहा है" कुछ इसी अंदाज में लोकसभा में बीच की पंक्ति में खड़े होकर गरीबों की राजनीति करने वाले लालू ने अपने दोनों तरफ बैठे सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं पर वार किया था। लेकिन विडंबना देखिए उसी लोकसभा में तथाकथित बहुसंख्यक गरीबों के राजनेता लालू अब नहीं दिखेंगे। चारा घोटाले में पांच साल की कैद होने के बाद अब वह अगले 11 सालों तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। तो क्या यह गरीबों की हार है या गरीबी का मजाक है?
ये कौन है जो पत्थर फेंक रहा, कौन है जो आग लगा रहा है
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ये कौन है जो पत्थर फेंक रहा है,
इंसानियत को लहूलुहान कर रहा है।
ये कौन है जो आग लगा रहा है।
दुकानों ही नहीं भाईचारे को भी जला रहा है।
क्यों सड़कों पर बिखरा...
4 वर्ष पहले